संतरा उत्पादक कृषक संगठन बनाकर अपनी ब्रांडिंग खुद करे, छोटी-छोटी खाद्य प्रसंस्करण इकाई स्थापित करने हेतु आगे आएं – कलेक्टर श्री शर्मा

एक जिला एक उत्पाद पर कृषक संगोष्ठी सम्पन्न

आगर-मालवा । एक जिला एक उत्पाद पर रविवार को कलेक्टर श्री अवधेश शर्मा की अध्यक्षता में ग्राम मोड़ी में एक दिवसीय कृषक संगोष्ठी सम्पन्न हुई। संगोष्ठी का शुभारम्भ भगवान बलराम चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन कर किया गया। इस अवसर पर जिला पंचायत सीईओ आगर, सुसनेर एसडीएम श्री के.एल.यादव, उप संचालक उद्यान अतर सिंह कन्नौजी तथा किसान संघ महामंत्री श्री रामनारायण तेजराएवं मोड़ी के पूर्व सरपंच श्री पीरुलाल पाटीदार सहित कृषकगण उपस्थित रहे।
कलेक्टर ने संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कहा कि जिले में संतरा की अच्छी पैदावार होती है। इसके दृष्टिगत आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत् एक जिला एक उत्पाद के रूप में संतरा फसल का चुना है। संतरा उत्पादक कृषक संगठन बनाकर अपनी ब्रांडिंग खुद करे। जिले में छोटी-छोटी खाद्य प्रसंस्करण इकाई स्थापित करने हेतु आगे आएं एवं आत्मनिर्भर बनें। शासन की ओर से हर संभव मदद मुहैया करवाई जाएगी। कलेक्टर ने कहा कि जिले में संतरा प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित होने से जिले के अन्य संतरा उत्पादक कृषकों को भी इसका फायदा मिलेगा। उन्हें अपनी उपज का उचित दाम मिलने लगेगा। उन्होंने कहा कि जिले को संतरा उत्पादन में देश के साथ-साथ विदेशो में ख्याति मिले, ऐसा कार्य करें।
कलेक्टर ने कहा कि जिले के लिए गौशाला, धार्मिक स्थल एवं संतरा तीनों महत्वपूर्ण है। इन्हे आत्मनिर्भर बनाने हेतु प्रणाली विकसित की जाएगी। उन्होंने उद्यानिकी विभाग के अधिकारी को निर्देश दिए जिले के सभी संतरा उत्पादक कृषकों को जोड़ा जाए। पंचायत स्तर पर समिति बनाकर, उनसे चर्चा करें। संतरा उत्पादन संबंधी समस्याओं को प्राथमिकता से दूर करें। जो किसान फल नहीं आने या कम फल आने से संतरे के पेड़ काट रहे, उन्हें समझाईश देकर रोकें। फसल अफलन आदि के कारणों का पता कर, उन्हें फसलों को कब क्या पौषक देना है, उसकी जानकारी दें। इसके लिए मास्टर ट्रेनर बनाकर, उन्हें प्रशिक्षण दें, ताकि मैदानी स्तर पर कृषकों को फसल संबंधी जानकारी दे सकें। उन्होंने निर्देश दिए कि लाभ प्राप्त एवं लाभ वंचित किसानों की जानकारी तैयार करें। जिससे कि लाभ से वंचित किसानों को शासन की योजनाओं से लाभान्वित करवाने की कार्यवाही की जा सकें। उन्होंने उद्यानिकी विभाग एवं अन्य सहयोगी विभाग को निर्देशित किया कि मोड़ी क्षेत्र के संतरा उत्पादक कृषक का सोइल हेल्थ कार्ड बनाया जावे। साथ ही एक पायलेट मॉनिटरिंग सिस्टम तैयार करने हेतु भी निर्देशित किया।
संगोष्ठी में उप संचालक उद्यान कन्नौजी ने कृषकों को आत्मनिर्भर भारत अंतर्गत एक जिला एक उत्पाद योजना की जानकारी देते हुए कृषकों को बताया कि संतरा फसल में सिंचाई बहाव पद्धति से न करते हुए ड्रिप सिस्टम का उपयोग करना चाहिए। संतरा पौधों कीे समय-समय पर ट्रेनिंग प्रूनिंग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आगर जिले को संतरे से देश-विदेश में पहचान दिलाने हेतु अच्छी गुणवत्ता के फल उत्पादित करना और जो संतरा बगीचें है उन्हे उचित प्रबंधन क्रियाएं अपनाकर उत्पादन को बढ़ाना होगा। उन्होंने बताया कि बोर्डो पेस्ट (1:1:10) चुना, निलाथोता, पानी से संतरे की फसल पर पेस्ट से पौधे के स्टेम पार्टस को पुताई करना चाहिए तथा बोर्डो मिश्रण (1:1:100) चुना, निलाथोता, पानी को घोल बनाकर छिड़काव करने से फुल, फल में वृद्धि, गुणवत्ता पूर्वक उत्पादन होगा।
संगोष्ठी में संतरा उत्पादक कृषकों को वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.आर.पी.एस. शक्तावत द्वारा संतरा फसल प्रबंधन पर विस्तृत जानकारी प्रदाय करते हुए बताया कि संतरा फसल में अफलन होने की स्थिति से निजात पाने के लिए हारमोंस प्रबंधन करना आवश्यक है। जल प्रबंधन के लिए ड्रिप सिंचाई पद्धति का उपयोग करने को कहा। उन्होंने कहा कि संतरा फसल में पोषण प्रबंधन हेतु पोषक तत्व को सही समय एवं सही मात्रा में देने से पौधों में संतरे की फ्लावरिंग एवं फ्रूटिंग सही समय पर होगी। संतरा फसल में अंतरवर्ती फसल का चयन कम पानी वाली फसलों का करना चाहिए। अधिक पानी लेने वाली फसलों को नहीं लेना चाहिए तथा साल में तीन से चार बार आवश्यकतानुसार कॉपरबेस्ट फंजीसाईट एवं इंसेक्टीसाईट समय-समय पर ट्रेनिंग-पूर्निग करते रहना चाहिए। जिससे उत्पादन एवं गुणवत्ता दोनो में बढ़ोतरी होगी।
संगोष्ठी में श्री कोतिक मोरे द्वारा भी कृषकों को विस्तृत मार्गदर्शन दिया गया। उक्त संगोष्ठी में उद्यानिकी, आजीविका मिशन, उद्योग विभाग, राजस्व विभाग, कृषि के अधिकारी भी उपस्थित रहे। सहयोगी के रुप में श्री सुरेंद्र यादव, श्री रामसिंह जाधव, श्री अशोक झंकारे, श्री लोकेश चौहान आदि उपस्थित रहे।