नरवाई जलाए नहीं, उसका प्रबंधन करें-श्री चन्द्रावत

हरदा । उप संचालक किसान कल्याण श्री एम.पी.एस. चन्द्रावत ने किसानों से अपील की है कि वे किसी भी स्थिति में नरवाई न जलायें। भूमि की उर्वरता परत लगभग 6 से 9 इंच तक की उपरी सतह पर ही होती है, इस परत में उर्वरता एवं उत्पादकता के लिए प्रतिबद्ध तरह-तरह के माइक्रोफ्लोरा (सुक्ष्म पौध) एवम माइक्रोफाउना (सुक्ष्म जंतु) एवं विद्यमान अति लाभदायक बैक्टीरिया जो की पौषक तत्वों का स्थिरीकरण कर, पौषक तत्वों को मृदा घोल में पौधों के अवशोषण के लिए उपलब्ध कराते है, उपस्थित रहते है। जो की उत्पादकता को उन्नायनित कर लाभ पहुँचाते है। नरवाई जलाने से उत्पन्न उच्च तापमान के कारण, मिट्टी में विद्यमान सूक्ष्म जीव समाप्त हो जाते हैं और सुक्ष्?म जीव रहित होती जाती है, और यह धीरे-धीरे बंजरता की ओर बढने लगती है।
उन्होने अवगत कराया कि नरवाई जलाना खेती के लिये आत्मघाती कदम सिद्ध हो सकता है। इससे अन्य खेतो में अग्नि दुर्घटना की संभावना रहती है तथा मिट्टी की उर्वरकता पर भी विपरीत असर पड़ता है। इसके साथ ही धुएँ से कार्बन डाय आक्साइड से ओजोन परत प्रभावित होती है तथा तापक्रम बढता है और प्रदूषण में भी वृद्धि होती है, जी की पृथ्वी के पारिस्थिकी तंत्र को प्रभावित करता है, जो कि जीव, जंतु एवं मानव के लिए घातक होती है।
उन्होंने किसान भाईयो से आग्रह किया वे नरवाई न जलाए, बल्कि नरवाई का प्रबंधन करें। नरवाई जलाने की अपेक्षा यदि फसल अवशेषों और डंठलो को एकत्र कर वेस्ट डिकंपोजर के माध्यम से जैविक खाद, भू-नाडेप, टटिया नाडेप, वर्मी कम्पोस्ट आदि विधियों से जैविक खाद बनाये। नरवाई एवं फसल अवशेष जल्दी सड़कर जैविक पोषक तत्वों से भरपूर खाद बना सकते है। इसके अतिरिक्त खेत में कल्टीवेटर, रोटावेटर या डिस्क हेरो की सहायता से फसल अवशेषो को भूमि में मिलाने से आने वाली फसलों में जीवांश के रूप में बचत की जा सकती है। किसान सामान्य हार्वेस्टर से गेहूँ कटवाने के स्थान पर स्ट्रारीपर एवं हार्वेस्टर का उपयोग करे तो पशुओं के लिये भूसा व खेत के लिये बहुमूल्य पौषक तत्वों की उपलब्धता बढने के साथ मिट्टी की संरचना को बिगडऩे से भी बचाया जा सकता है। दूसरी ओर नरवाई जलाने से अपनी या अन्य किसानों की फसल, घर, मवेशी आदि को भी नुकसान पहुँच सकता है।
खेतों में नरवाई न जलाने हेतु कलेक्टर श्री संजय गुप्ता द्वारा प्रतिबंधात्माक आदेश जारी किये गये है। नरवाई जलाने का यदि कोई मामला प्रकाश में आता है तो जाँच कर संबंधित कृषक एवं हार्वेस्टर संचालक के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी। पुन: कृषक भाइयों अनुरोध है कि कृपया नरवाई नहीं जलाए अपितु उसका प्रबंधन कर सच्चे धरती पुत्र होने का परिचय देवें।