गोवंश को बचाने के लिए ली गई मन्नत, दाढ़ी कटिंग नहीं बनाकर आवारा पशुओं का कर रहे परवरिश बचोङीया निवासी कचरूलाल भील
पिपलोदा (अभय सुराणा)। रतलाम जिले के पिपलोदा तहसील के गाँव बचोङीया के निवासी कचरूलाल पिता बगदीराम भील विगत 20 वर्षो से अपने निजी सिंचित जमीन पर 1200 स्क्वायर फीट का एक बरामदा बनाकर उसके आस-पास बरसाती का तम्बू बनाकर बाजार में जो अवारा गोवंश घूमते है जिन्हें लाकर उनका भरण-पोषण कर रहे हैं , इस पुनीत कार्य में उनकी धर्म पत्नी रामकन्या बाई व्रद्ध होने के बाद भी कंधा से कंधा मिलाकर सहयोग प्रदान कर रहीं हैं, कचरूलाल भील का कहना है कि पूर्व में हमारे समाज के लोग थोडेसे लालच में आकर पशुओं के वध करने वाले व्यापारियों के चक्कर में आकर पशुओं को कोसों दूर पैदल लाने ले जाने का काम किया करते थे अगर रास्ते में पकङा जातें तो व्यापारी तो बच जाते व हमारे समाज के लोगों को सजा भुगतान पङित थी, समाज़ के इस काम का पश्चाताप करते हुए मेरे मन मे विचार आया कि क्यों नहीं आवारा पशुओं को कत्ल खाने जानें के बजाय इन पशुओं को अपने प्रयासों से पालन पोषण किया जाए ओर मैंने यही सोचकर 20 वर्ष पूर्व यह प्रतिज्ञा ली है कि में ग्राम पंचायत बचोङीया के अन्तर्गत क़रीब 150 बीघा गोंचर भूमि हैं जींस पर लोगों द्धारा अतिक्रमण किया जा रहा है उसके बजाय उक्त गोंचर भूमि पर गौशाला का निमार्ण किया जाये जींस कारण जहां एक ओर गोंचर भूमि अतिक्रमण से वंचित हो जाएगा, वही आवारा गोवंश का पालन-पोषण हो सकेंगा, कचरूलाल ने बताया कि मैंने कईं बार ग्राम पंचायत के साथ जन प्रतिनिधियों से गौशाला हेतु निवेदन किया किन्तु किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया अब मुझे विश्वास है कि आपके इस समाचार के माध्यम से शासन व प्रशासन तक मैरी आवाज़ पहुंचेगी ओर मैरी ङाङी कटिंग की मनंत जो है वो पूर्ण होंगी , ज्ञात रहे कचरूलाल अपनी धर्म पत्नी के साथ बचोङीया गाँव छोङकर एक किलोमीटर दूर खेत पर ही रहकर करीब 24 अवारा गोवंश को लाकर उनका भरण-पोषण कर रहे हैं कचरूलाल भील का कहना है कि मेरे निजी तीन बीघा जमीन में इन गोवंश के लिए मक्का, चरी बो रखी है वही आस पास के गाँव में जाकर किसानों से नि:शुल्क सुखला इकट्ठा कर इनका भरण-पोषण किया जा रहा है, यही नहीं इनके पिने के पानी के लिए छोटी खेर बना रखी है वही मैरी पत्नी रामकन्या बाई इन को बाल्टी से भी पानी पिलाती है वही गोबर समेटने का काम भी करतीं हैं, कचरूलाल ने बताया कि गोवंश का दूध नहीं निकाला जाता है बच्चे को ही दूध पिलाया जाता है , कचरूलाल भील का कहना है कि वर्ष 2015 में निजि भूमि पर प्याज़ भण्डारण हेतु उप सहायक संचालक उघान रतलाम को आवेदन पत्र दिया गया था व उनके आदेशों अनुसार तीन लाख रुपये की लागत से 50 मेट्रिक टन प्याज़ का भण्डारण कर सकें इस हेतु एक गोधाम बनाया गया था किन्तु उक्त भवन निर्माण की राशी अभी तक प्राप्त हुईं हैं जानकारी लेने पर यह पाया गया की आपका गोदाम निजि भूमि पर न होकर गोंचर भूमि पर बनाया गया है जब से इस गोधाम को शुक्ला भरने के लिए उपयोग किया जा रहा है उनका कहना है कि अगर बचोङीया गाँव में गोंचर भूमि पर गौशाला का निमार्ण किया जाता है तो इस गोदाम के साथ नि:शुल्क सेवा देने को तेयार है हम,