चंदन गोयरा ( मॉनिटर लिजर्ड ) को लेकर ग्रामीण क्षैत्रों में गलतफहमी और अफवाह है – शिक्षक गणेश मालवीय

सैलाना । मौत के लिए, सिर्फ नाम ही काफी है ऐसा जानवर जिसका नाम सुनते ही लोगों की रूह कांप जाती है ,देखना तो दूर की बात, उसकी उपस्थिति से शरीर में सिहरन खड़ी हो जाती है । लोग उसे मारने के लिए उतारू हो जाते हैं ,हर तरफ से यही आवाज आती है, मार दो ,इसको खत्म कर दो ,इसको यह बहुत ही खतरनाक है । आखिर यह क्या चीज है जिससे लोगों के मन में इतना भयानक डर बैठ गया ।
दोस्तों यह डर एक ऐसे खतरनाक जीव का है ,जो साधारणतया हम लोगों के आसपास रहता है । अधिकतर खेत और खलिहान । इस जानवर का नाम है चंदन गोयरा ( मॉनिटर लिजर्ड ) लोग इसे देखते ही मारने की सलाह देते हैं ,लोगों की किवदंती है कि ,इसके ऊपर बिजली गिरती है ,इसकी फूंक से आदमी अंधा हो जाता है, इसकी जीभ से आदमी की मौत होती है और भी अनेको-अनेक कहानियां जो हमने ,हर व्यक्ति के मुंह से सुने हैं ,ऐसी ही कुछ बातें सैलाना स्थित मंडी परिसर मैं सुनने को मिली ।
घटना यह थी कि सैलाना मंडी परिसर के अंदर माल गोदाम में एक चंदन गोयरा घुस आया था ,जिसे देखकर वहां काम करने वाले हम्माल एवं आसपास के ग्रामीण मंडी छोड़कर भाग गए । किसी ने जोर से आवाज लगाई की अंदर चंदन गोयरा है इसके तुरंत बाद चंदन गोयरा को मारने की बात कही गई, किंतु व्यापारी एवं जीव प्रेमी इंद्रेश चंडालिया द्वारा पिपलोदा निवासी शिक्षक गणेश मालवीय को तुरंत फोन लगाकर इस जीव की जानकारी दी । शिक्षक द्वारा इस जीव को बचाने के लिए सैलाना स्थित मंडी में आकर चंद मिनटों में इसे हाथों से पकड़कर बाहर लाएं और इसके बारे में जितनी भी मिथ्या किवदंती या थी, उसको खंडन करते हुए इस जानवर को बहुत सीधा-साधा शांत प्रवृत्ति का बताया । शिक्षक गणेश मालवीय द्वारा बताया गया, कि ग्रामीण क्षेत्रों में चंदन गोरे को लेकर बहुत गलतफहमी और अफवाह है जो इसकी मौत का कारण बनती है । इस जानवर में किसी भी प्रकार का कोई जहर नहीं पाया जाता है ,यह जीव वैज्ञानिक नाम मॉनिटर लिजर्ड है और सामान्य सरीसृपो की तरह यह भी दूसरे कीड़े मकोड़ों को खाकर जिंदा रहता है शिक्षक गणेश मालवीय पिपलोदा द्वारा चंदन गोयरा को हाथों से पकड़कर कर उसकी तमाम मिथ्या बातों को गलत साबित करते हुए ,जानकारी उपलब्ध कराई ,जैसा कि हमेशा से उनका मुहिम रहता है और फिर इसे पुन: जंगल में विचरण करने के लिए छोड़ दिया गया । उक्त जानकारी शिक्षक एवं सर्पमित्र प्रकृति प्रेमी गणेश मालवीय पिपलोदा ने दी।