श्रीकृष्ण ने अपने जीवन में वंचित एवं समाज से ठुकराए हुए लोगों को अपने प्रेम से सरोबार किया – दिव्येशराम जी महाराज

रतलाम । श्री कालिकामाता मंदिर सभागृह पर श्री रामस्नेही भक्त मण्डल के तत्वावधान में चल रही सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन भगवान श्रीकृष्ण को छप्पन भोग लगाकर महाआरती की गई।
कथा वाचक युवा रामस्नेही संत श्री दिव्येशराम जी महाराज ने गौर्वधन पूजा एवं कंस वध के प्रसंग में कहा कि भगवान श्रीकृष्ण साक्षात करुणा अवतार है। जो कोई जीवात्मा महापापी होने पर भी उनकी शरण में आ जाए तो भगवान उसे शत्रु भाव रखने पर भी उद्धार कर देते हैं। परमात्मा की शास्त्र स्वरूप आज्ञा का यदि जीव शब्द मात्र भी अपने जीवन में आत्मसात करें तो उसका उद्धार स्वयं भगवान करते है। आने वाली समस्त बाधाओं से उसे छुड़ाकर दे कर उसका कार्य संपन्न करते है। गोवर्धन पूजा करने की प्रेरणा भगवान ने ही दी है। इंद्र के क्रोध करने पर भगवान ने स्वयं गोवर्धन धारण करके ब्रज वासियों की रक्षा की है।
उन्होने कहा कि जैसे भगवान ने पूतना कंस आदि जैसे अधर्म पापीयों को भी अंत में अपना मोक्ष धाम देकर कृतार्थ किया है। यदि जीव पूर्णरूप से परमात्मा के आश्रित हो तो उसका भरण पोषण भी भगवान स्वयं करते हैं। यह भगवान की मर्यादा है। जिस प्रकार राम ने अपने जीवन में पतितो का उद्धार किया। उसी तरह कृष्ण ने अपने जीवन में वंचित एवं समाज से ठुकराए हुए लोगों को अपना कर उन्हें अपने प्रेम से सरोबार किया है। उपजा कुबड़ी का शरीर में तीन जगह टेड़ा था। जैसे भगवान श्रीकृष्ण उसका शरीर ठीक किया है। वैसे ही जीव में भी काम, क्रोध और मोह की तीन जगह टेड़ है। जिसे सीधा करने का सामर्थ एकमात्र श्रीकृष्ण भगवान में है।
मनुष्य को यदि अपना जीवन सफल बनाना है, तो वह राम के कर्म को एवं कृष्ण के ज्ञान को धारण कर आत्मसात करें और उसका जीवन में अनुसरण करने का प्रयास करें। व्यक्ति जीवन में यदि दुखी है तो उसका एकमात्र कारण ईष्या है। ईष्या उस जंगल की आग के समान है जो अपने ही वृक्षों के घर्षण से पैदा होकर उन्हीं वृक्षों को जला डालती है। ईष्या भी व्यक्ति के अंत: करण को जलाकर उसके विवेक की शक्ति को क्षीण कर देती है। जीवन में ईष्या रूपी अग्नि का शमन करने के लिए एकमात्र कृष्ण चरणों का आश्रय परम आवश्यक है।
पूज्य गुरूदेव श्री शंभूराम जी महाराज के सानिध्य में चल रही इसकथा में श्रद्घालुजनों को सेनेटाईजर से हाथ धुलवाकर मास्क का वितरण किया जा रहा है।
पोथी पूजन, संत सम्मान एवं महाआरती मुख्य यजमान सुशीलादेवी खण्डेलवाल, मंजु-धीरज खण्डेलवाल, नीरज खण्डेलवाल, विशाल खण्डेलवाल, महेश सोनी, रामेश्वर सोनी, कांतिलाल कुमावत सहित बड़ी संख्या में उपस्थित धर्मालुजनों द्वारा की गई।