रतलाम । उपसंचालक कृषि श्री ज्ञानसिंह मोहनिया ने बताया कि खरीफ वर्ष 2021 में रतलाम जिले में खरीफ फसलों की लगभग 76 प्रतिशत क्षेत्र में बुवाई हो चुकी है। विभिन्न फसलों के लिए बुवाई हेतु निर्धारित लक्ष्य 3 लाख 17 हजार 780 हेक्टेयर के विरुद्ध 2 लाख 38 हजार 948 हेक्टेयर में प्राप्त जानकारी के अनुसार फसलों की बुवाई का कार्य हो चुका है तथा कुछ क्षेत्रों में खण्ड वर्षा होने के कारण क्षेत्र में बुवाई लगातार हो चुकी है।
श्री मोहनिया ने बताया कि किसान भाई बुवाई से शेष बचे क्षेत्र में संतुलित उर्वरकों का प्रयोग करें। जिले में डबल लाक केन्द्र दिलीप नगर, विरियाखेडी रतलाम, जावरा, ताल एवं आलोट में यूरिया डीएपी एवं एनपीके 12:32:16 एवं पौटाश उर्वरक पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। आलोट एवं ताल के डबल लाक केन्द्रों में रतलाम रैक पाईंट पर 7 जुलाई को चम्बल डीएपी रैक लगी है जिससे 300 मैट्रिक टन ताल एवं आलोट क्षेत्र की प्राथमिक साख सहकारी समितियों को सीधे प्रदाय किया जाएगा। समस्त डबल लाक केन्द्रों पर एनपीके 12:32:16 में उर्वरक पर्याप्त मात्रा में भण्डारित हैं तथा प्राथमिक साख सहकारी समिति स्तर पर भी भण्डारित है।
किसान भाई किसी भी केन्द्र विशेष पर डीएपी उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में एनपीके 12:32:16 उर्वरक का उपयोग कर सकते हैं। उक्त उर्वरक में नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटाश तीनों प्रकार के तत्व उपलब्ध होने से डीएपी के स्थान पर यदि एनपीके उर्वरक का उपयोग करते हैं तो फसलों के लिए आवश्यक सभी पर्याप्त पोषक तत्वों की पूर्ति होगी। जिले में निजी एवं सहकारिता क्षेत्र में यूरिया उर्वरक लगभग 12 हजार मैट्रिक टन, डीएपी 4800 मैट्रिक टन एवं एनपीके 12:32:16 तीन हजार मैट्रिकक टन, सिंगल सुपर फास्फेट 4500 मैट्रिक टन एवं पोटाश 1727 मैट्रिक टन उपलब्ध है तथा आगामी समय में मांग अनुसार समस्त प्रकार के उर्वरक रैक के माध्यम से लगातार प्राप्त होते रहेंगे।
वर्तमान में जिन क्षेत्रों में खण्ड वर्षा हुई है, वहां पर किसान भाई मक्का फसल पर यूरिया का छिडकाव कर सकते हैं तथा कपास फसल पर डीएपी या एनपीके 12:32:16 उर्वरक पौधों में क्यारी विधि से उपयोग कर सकते हैं। साथ ही सोयाबीन एवं मक्का फसल पर प्रारम्भिक अवस्था में हरी ईल्ली के नियंत्रण हेतु सोयाबीन फसल में क्लोरोपायरीफास या क्विनालफा दवरा एवं मक्का फसल हेतु एमामेक्टिन बेंजोऐट दवा का उपयोग कर सकते हैं।