रतलाम 5 अगस्त 2021 (मोतीलाल बाफना)। देश के तमिलनाडु में नए ऊंटी बीजू लहसुन की फसलें इस वर्ष 2021 में मेट्रोपोलियम एवं कोडाईकेनाल (वडूगापट्टी) एवं मैसूर के आसपास की घाटियों में बीजू लहसुन की फसलें इस वर्ष जोरदार होने की चर्चा है । जिसके कारण मेट्रोपोलियम (कोयम्बटूर) साप्ताहिक बाजार वाले दिन एवं वडूगापट्टी में रविवार एवं गुरूवार को आवकें जो हो रही है वह जोरदार हो रही है । जिसके कारण ऊंटी बीजू लहसुन के भाव भी शुरूआत के भाव से बहुत कम हो गए है ऐसी चर्चा है । आज 5-8-2021 गुरूवार को वडूगापट्टी में वहां के व्यापार सूत्रों से चर्चाओं के मुताबिक लगभग 4 हजार बोरी के आसपास आवक रही एवं भाव 5000 से 12000 के आसपास माने जा रहे है । बारिक हल्के माल कम भाव पर भी बिकने की चर्चा है । वहां का लहसुन वर्तमान में मध्यप्रदेश के दलौदा, जावरा एवं रतलाम जिले के अलावा उज्जैन, इंदौर के आदि गांवो में कृषक लोग बीजू लहसुन तमिलनाडु से सीधे (डायरेक्ट) लाकर बेच रहे है । मध्यप्रदेश की ऊंटी बीजू लहसुन के व्यापार क्षैत्रों वाली जगह पर क्वालिटी अनुसार 6500 से 12000 रू. प्रति क्विंटल के आसपास बताए जा रहे है ऐसी चर्चा है । वैसे इस सप्ताह में भी ऊंटी नया बीजू लहसुन मध्यप्रदेश में अच्छी मात्रा में आने की चर्चा है । कुछ माल कुछ मंडियों में भाव में भी बिकने की चर्चा है । प्रति बाजार लगभग 25-40 गाड़ी के आसपास माल सीधे आकर बिकने की चर्चा है और कुछ दिनों बाद राजस्थान के छीपाबड़ौद एवं बारां के आसपास क्षैत्रों में ऊंटी नए बीजू लहसुन की कृषक खरीददारी कर बुआई शुरू करेंगे । मध्यप्रदेश में उक्त लहसुन की बुआई अगस्त के अंतिम सप्ताह में प्रारम्भ होने की संभावना है । जो सितंबर-अक्टूबर माह तक एवं दीपावली के आसपास भी बरसात रहने पर बुआई हो मध्यप्रदेश के अन्य जिलों में होने की संभावना है । वर्तमान में जुलाई और अगस्त माह के प्रथम सप्ताह में लहसुन के भावों में भी कमजोरी का वातावरण रहने की चर्चा रही । सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार राजस्थान, मध्यप्रदेश एवं कुछ अन्य राज्यों में भी पुराना लहसुन उत्पादक कृषकों के पास कुछ स्टाकिस्टों के पास भी स्टाक में रहने की संभावना है । अगर लहसुन की दीपावली के आसपास या सितम्बर-अक्टूबर माह मे ंआवकें जोरदार रही तो लहसुन का व्यापार तेजी-मंदी के दौर में मुडकर बिगड़ भी सकता है । वर्तमान कोरोना की मार से विगत डेढ वर्ष से अधिक समय से प्याज-लहसुन में तेजी मंदी के दौर में कई व्यापारियों का व्यापार उधारी के चक्कर में गड़बड़ा जाने की चर्चा है । क्यों उधारी का पैसा आसानी से आता नहीं है और बाद में माल बिकता नहीं है। व्यापारी और बेचवाल परेशान रहता है । इसके कारण कई व्यापारियों का उधारी में पैसा फंस जाता है ऐसी भी चर्चा है । इधर हिमाचल प्रदेश के लहसुन में भी बाजार चाल ढिली रहने की चर्चा है । चर्चाओं के मुताबिक वहां पर भी क्वालिटी अनुसार 6000 से 10000 तक भाव रहने की चर्चा है और हल्के बारिक माल कम भाव पर भी बिकने की चर्चा है । जम्मू एंड कश्मीर का जो नया लहसुन निकला है उसमें से अधिकांश माल हिमाचल प्रदेश के व्यापारी खरीदकर वहां ले जाकर हिमाचल के कृषकों को बीज में बेच रहे है और वर्तमान में जम्मू $एंड कश्मीर का कश्मीरी माल हिमाचल में बिजवारे के रूप में भी ज्यादा जाने की चर्चा है । वहां भाव 6000 से 7500 के आसपास रहने की चर्चा है । मध्यप्रदेश लहसुन बिक्री मंडी ंिछंदवाड़ा (नागपुर) नीमच, पिपल्यामंडी, मंदसौर, दलौदा, जावरा, सैलाना, उज्जैन, इंदौर, बदनावर, बडऩगर, पिपलौदा, बड़ावदा, सिहोर, नरसिंहगढ़, व्यावरा, शाजापुर, काला पिपल,सारंगपुर, सुजालपुर, आष्टा भोपाल आदि छोटी-बड़ी मंडियों में माल देशी माल 3000 से 8500 तक जनरल और कई मंडी में क्वालिटी अनुसार माल कम-ज्यादा भाव पर बिकने की चर्चा है । देशी मोटी माल 5500 से 8500 तक माना जा रहा है और मीडियम एवरेज माल क्वालिटी अनुसार बारिक छोटे हल्के माल भी नीचे में 1800 से 2000 रू. प्रति क्विटंल से ४000 के आसपास क्वालिटी अनुसार माने जा रहे है । वैसे मध्यप्रदेश में नीमच, मंदसौर, पिपल्यिामंडी, दलौदा, जावरा आदि मंडियों में लहसुन की आवकें ठीक चल रही है एवं अन्य मंडियों में आवकें कहीं पर कम और कहीं पर ज्यादा तो कहीं पर समान रहने की चर्चा है और वर्तमान में बरसात अच्छी होने पर बरसात रूकने के बाद कृषक अपना माल मंडियों में निकालकर बेचेगा ऐसी भी चर्चा है। उत्पादक कृषक और कृषक अपना माल दीपावली बाद तक मंडियों में लाकर बेचेगे । वैसे देश के लहसुन व्यापार क्षैत्रों के मुताबिक लहसुन के बाजार ज्यादा ऊंचे भाव रहे और कोरोना के कारण वापस अगर देश में परेशानी उत्पन्न होती है तो लहसुन का व्यापार उधर-पुथल हो सकता है । यह भी एक चर्चा है । क्योंकि वर्तमान में कोई भी कहीं का भी व्यापारी कृषक अपने पास न तो स्टाक की सही जानकारी सांझा करता है और ना व्यापारी । वहीं सोशल मीडिया पर भ्रम पूर्वक जानकारी के कारण लहसुन का व्यापार व्यापारियों को करना एक संकटपूर्ण स्थिति सोचने को मजबूर करता है । क्योंकि देश के अधिकांश राज्यों में लहसुन की क्वालिटी बनाने की मशीनें खरीददार व्यापारी एवं लोर्डिंग बिक्री करने वाले व्यापारियों के पास भी अपने-अपने क्षैत्रों में लगी होने से फसल का व्यापार अब क्वाालिटी मालों पर ज्यादा रहने की चर्चा है । कहीं-कहीं पर कुछ राज्यों में एवरेज हल्के माल ज्यादा चलते है तो कहीं पर जनरल माल चलते है और कहीं-कहीं पर सुपर बेस्ट माल चलते है। राजस्थान में अभी बरसात के कारण बांरा,कोटा (भामाशाह अनाज मंडी एवं सब्जी मंडी), छिपाबड़ौद, छोटीसादड़ी, निम्बाहेड़ा, प्रतापगढ़ सहित छोटी-बड़ी लहसुन मंडियों में आवकें कहांपर ज्यादा बारिश होने से कम हो रही है और बारिश नहीं होने पर मंडियों में आवकें अच्छी रहने की चर्चा रहती है । वहां पर भी क्वालिटी अनुसार 2000 से 6000 तक जनरल भाव और सुपर माल 6000 से 8500 के आसपास रहने की चर्चा है । ऊंटी क्वालिटी सुपर माल ऊंचे भावों पर भी कहीं-कहीं पर बिकने की चर्चा है । वहीं देश में अफगानिस्तान से आयातित लहसुन को लेकर हिमाचल प्रदेश के लहसुन व्यापारियों,आड़तियों और कृषकों ने आयातित लहसुन पर रोक लगाने की भी मांग काफी समय से कर रहे है । लेकिन अफगानिस्तान का लहसुन भारत में आने से हिमाचल प्रदेश के लहसुन के व्यापार पर काफी असर देखने को मिला । जिसके कारण वहां की लहसुन की फसलों के भावों में कमी में आ गई है । अभी देश के लहसुन का एक्सपोर्ट भी जोरदार नहीं होने की चर्चा छोट-मुट कुछ देशों में क्वालिटी अनुसार थोड़ा-थोड़ा लहसुन जा रहा है और अभी वर्तमान में मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात आदि देश की मंडियों में एवरेज हल्के माल ज्यादा आने की चर्चा है । वह माल अधिकांश फेक्ट्रियों में जाता है जहां पर लहसुन पावडर डिहाईड्रेसन होकर एवं फ्लेक्स और चटनीयाँ बनकर भारतीय बाजारों एवं विदेशों में भी निर्यात होने की चर्चा है । लहसुन के भाव ऊंचे रहने के कारण महुआ गुजरात के उद्योग लहसुन की खरीदी में कम भाव का ही माल ढुंढते है और वहां माल पहुंचने के बाद कुछ व्यापारियों के साथ क्वालिटी को लेकर विवाद भी होता है और व्यापारियों का पैसा रूक जाता है । इसके कारणव्यापारी वहां खुलकर महुआ के कुछ उद्योग के लोगों को माल उधार देने में घबराता है ऐसी भी चर्चा है । गुजरात, उत्तरप्रदेश, पंजाब, हरियाणा आदि लहसुन उत्पादक क्षैत्रों में वहां का लहसुन क्वालिटी अनुसार 2500 से 7000 के आसपास जनरल भाव और ऊपर सुपर बेस्ट मोटा माल 8000 से 9000 तक बिकने की चर्चा है । देश की मुख्य लहसुन बिक्री मंडी उप्र, बिहार, बंगाल, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, गोहाटी, जोधपुर, जयपुर, बीकानेर, श्रीगंगानगर, गोधरा, दाहोद, वड़ोदरा, अहमदाबाद, सूरत, मुम्बई, पुना, बैंगलौर, वडूगापट्टी, कोयम्बटूर, कटक, भुवनेश्वर, भ्रदक, जाजपुरटाऊन, संभलपुर, राहुलकेला, बरगड़, भारीपदा, सैलम, मदुराई, मद्रास, त्रिची, कूम्भाकोड़म, नैल्लूर, हैदराबाद, ताड़ेपल्लीगुडम, विजयवाड़ा, विशाखापट्टम, राजामहेन्द्री, समस्तीपुर, गया, मुजफ्फपुर, गोरखपुर, पटना, लखनऊ, कानपुर, बनारस, ईलाहाबाद (प्रयागराज), अमृतसर, लुधियाना, जालंधर, करनाल, गुडग़ांव, केरला के त्रिशूर, पालघाट, कालीकट, कोचीन, कलकत्ता, वर्धमान आदि के बिक्री सेंटरो पर मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, गुजरात, आदि राज्यों का लहसुन क्वाालिटी अनुसार 3000 से १0000 रू. प्रति क्विंटल तक बिक्र होने की चर्चा है ।