अमानक, असुरक्षित, मिथ्याछाप व प्रतिबंधित विमल गुटखा बेचने वाले आरोपी को 03 माह का सश्रम कारावास

मनासा। श्रीमान मनीष पाण्डेय्, न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी, मनासा द्वारा आरोपी सुरेश पिता कैलाश राठौर, उम्र-42 वर्ष, निवासी-सिपाही मोहल्ला, मनासा, जिला नीमच को अमानक, असुरक्षित, मिथ्याछाप व प्रतिबंधित विमल गुटखा बेचने के आरोप का दोषी पाते हुए धारा 26, 27, 51, 52, 58, 59 खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 के अंतर्गत 03 माह के सश्रम कारावास और कुल 4,000रू. के जुर्माने से दण्डित किया गया।
एडीपीओ श्री विवेक कुमार गोयल द्वारा घटना की जानकारी देेते हुए बताया कि खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग में पदस्थ खाद्य सुरक्षा अधिकारी राजू सोलंकी दिनांक 27.07.2012 को शाम के लगभग 4 बजे निरीक्षण हेतु कृष्ण मंदिर के पास रामपुरा रोड़, मनासा स्थित प्रो. मेसर्स पियुष किराना स्टोर पर पहॅुचे जहाॅ पर खाद्य पदार्थ बिस्किट, पान मसाला, नमक, सुपारी आदि सामग्री का विक्रय किया जा रहा था। मिलावट की शंका होने पर खाद्य सुरक्षा अधिकारी द्वारा निरीक्षण के दौरान बेचने के लिए रखे विमल गुटखा के 154 ग्राम के चार पैकेट का नमूना जाॅच हेतु 440 रूपये नकद भुगतान कर लिया गया तथा फर्म पर उपस्थित व्यक्ति का नाम पूछने पर अपना नाम सुरेश राठौर बताया। खाद्य सुरक्षा अधिकारी द्वारा मौके की कार्यवाही किये जाने के उपरांत विमल गुटखा की जाॅच खाद्य विश्लेषक, भोपाल से करायी, जिसकी रिपोर्ट में विमल गुटखा अमानक, असुरक्षित, मिथ्याछाप व प्रतिबंधित तम्बाकू मिला होना पाकर मानव स्वस्थ्य के लिए असुरक्षित होना बताया गया। खाद्य सुरक्षा अधिकारी द्वारा विमल गुटखा के निर्माता कम्पनी एवं उनके चारो संचालको को जांच उपरांत आरोपी बनाया गया एवं अभियोजन स्वीकृति प्राप्त होने के बाद आरोपीगण के विरूद्ध परिवाद मनासा न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। निर्माता कंपनी व संचालको के फरार होने से आरोपी सुरेश राठौर के विरूद्ध न्यायालय में विचारण उपरांत निर्णय पारित हुआ।
अभियोजन पक्ष की ओर से न्यायालय में अपराध को प्रमाणित किये जाने हेतू खाद्य सुरक्षा अधिकारी एवं अन्य आवश्यक गवाहों के बयान कराकर अपराध को प्रमाणित करते हुए आरोपी को कठोर दण्ड से दण्डित किये जाने का निवेदन किया गया। अभियोजन की साक्ष्य एवं तर्को से सहमत होते हुए माननीय न्यायालय द्वारा आरोपी को धारा 26, 27, 51, 52, 58, 59 खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 के अंतर्गत 03 माह के सश्रम कारावास और कुल 4,000रू. के जुर्माने से दण्डित किया गया। न्यायालय में शासन की ओर से श्री विवेक कुमार गोयल, एडीपीओ द्वारा पैरवी की गई।