सनातन संस्कृति के श्रेष्ठतम प्रणेता थे विवेकानंद

रतलाम । भारतीय अध्यात्म और सनातन संस्कृति को यदि विश्व में किसी ने स्थापित किया है तो वह है सनातन हिंदू धर्म के प्रकांड दिव्य पुरुष स्वामी विवेकानंद आपने अपनी अद्भुत दिव्य शक्तियों के बल पर हिंदुत्व और सनातन सभ्यता संस्कृति के मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाते हुए वैश्विक पटल पर प्रतिष्ठित किया है यह आपका दार्शनिक दिव्य दर्शन था जिससे पूरा विश्व मोहित हुआ और भारतीयता की तरफ आकर्षित हुआ यह हम सब के लिए बड़े गर्व और हमारी संस्कृति के लिए मान और सम्मान का विषय है ।
उपरोक्त दिव्य उदगार स्वामी विवेकानंद जयंती 12 जनवरी के अवसर पर शिक्षक सांस्कृतिक संगठन द्वारा वाणिज्य महाविद्यालय स्थित स्वामी जी की विशाल आदमकद मूर्ति पर माल्यार्पण करते हुए उपस्थित साहित्यविद प्रखर विचारक डॉ. मुरलीधर चांदनी वाला ने व्यक्त किए । आपने कहा कि स्वामी जी का अध्यात्म पूरी दुनिया को आईना दिखाने वाला था जिसमें संपूर्ण मानवता का दृश्य दिखाई देता था विश्व में व्याप्त भुखमरी गरीबी और आध्यात्मिक दरिद्रता के दर्शन होते थे । आपने एक स्वर से दुनिया में व्याप्त कुर्तियों तथा अव्यवस्थाओं पर अपने आध्यात्मिक ज्ञान से प्रहार करते हुए मानवीय संवेदना और चेतना को जागृत करने का आह्वान किया था जो समूचे विश्व में स्वीकार किया जो हम सब भारतीयों के लिए गर्व का विषय है।
डॉ. सुलोचना शर्मा पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा कि उन्होंने संपूर्ण विश्व के युवाओं को एक संदेश दिया था युवा चाहे तो अपनी ऊर्जा से पूरी दुनिया का नक्शा बदल सकते हैं चरित्रवान शक्तिशाली युवा किसी भी राष्ट्र की धरोहर होता है उसी के पुरुषार्थ में देश की उन्नति परिलक्षित होती है युवाओं को सदैव सकारात्मक और ऊर्जावान बने रहना चाहिए यही स्वामी जी का संदेश था।
हमारा देश यदि सचमुच जगदगुरू कहलाने के योग्य है, तो वह केवल स्वामी विवेकानंद के कारण। दुर्लभ जीवन की सर्वांगीण प्रगति के लिये वेदान्त की शिक्षाओं का नुस्खा बता कर स्वामी  विवेकानंद ने पूरे विश्व के युवाओं को जो रास्ता दिखाया, वह कठिनाइयों से भरा हुआ हो कर भी आश्वस्त करता है । संयमित चरित्र सफलता की ग्यारंटी देता है। स्वामी विवेकानंद के अनुसार आधुनिक सभ्यता की मांग है कि युवा उत्सर्ग पूर्ण जीवन के लिये आत्म-निवेश करें ।
पूर्व प्राचार्य शिक्षाविद ओ.पी. मिश्रा जी ने कहा कि हमारा सौभाग्य है कि विवेकानंद भारत में पैदा हुए भारत भूमि से ही उन्होंने पूरी दुनिया को मानवता का संदेश दिया । यहां हमारे लिए बड़े गौरव की बात है आज दुनिया भर में आध्यात्मिक और सामाजिक परिवर्तन उनकी दी हुई शिक्षा का परिणाम है उनके संदेश सर्वव्यापी सर्व कालीन प्रेरक और उपयोगी है ।
संस्था अध्यक्ष दिनेश शर्मा ने कहा कि स्वामी जी का व्यक्तित्व विशालतम विचारों का संग्रह है उनके दिए हुए संदेश मानव जीवन के कल्याण का मार्ग दिखाते हैं। सत्कर्म सद्भावना और सदाचारी जीवन आपके द्वारा स्थापित सिद्धांतों का ही मूल स्वरूप है जिसकी आज महती आवश्यकता है।
पूर्व प्राचार्य गोपाल जोशी ने कहा कि जागो उठो और लक्ष्य को प्राप्त करो यह केवल बोध वाक्य नहीं है। अपितु इसमें मानव जाति के उत्थान का ब्रह्म छिपा हुआ है उसे सिर्फ समझने और आत्मसात करने की जरूरत है।
पूर्व अध्यक्ष कृष्ण चंद्र ठाकुर ने कहा कि धर्म संस्कृति और आध्यात्मिक चेतना के लिए प्रत्येक भारतवासी को स्वामी जी का ऋणी होना चाहिए आपने हिंदू संस्कृति और हिंदू धर्म को प्रतिष्ठित करवाया ।
नरेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि भारत के युवा स्वामी जी से प्रेरणा ले अल्प आयु में उन्होंने पूरी दुनिया को अपना दीवाना बना लिया था अपने पुरुषार्थ और आचरण केबल पर आपने दुनिया के युवाओं को ऊर्जावान बनाने का संदेश प्रदान किया था ।
भारती उपाध्याय ने कहा कि हमारी वैचारिक और आध्यात्मिक उन्नति स्वामी जी से प्रभावित है हमारी युवा पीढ़ी बहुत कुछ स्वामी जी के दर्शन से सीख सकती है उनके विचारों को अपने जीवन में आत्मसात करने की आवश्यकता है तभी भारतवर्ष में चारित्रिक नैतिक पतन की पराजय होगी ।
आरती त्रिवेदी ने कहा कि हम शिक्षण व्यवस्था में स्वामी जी के विचारों को बहुत अच्छी तरीके से प्रयोग कर सकते हैं नौनिहाल बच्चों में स्वामी जी की दी हुई शिक्षा बहुत उपयोगी हो सकती है नई पीढ़ी का जीवन संवार सकती है।
देवेंद्र वाघेला शिवगढ़ ने कहा कि स्वामी जी सदैव विश्व के युवाओं से आह्वान करते थे कि अपने लक्ष्य की प्राप्ति तक चैन से ना बैठे हैं । परिश्रम और साहस के बल पर वह सब कुछ हासिल करें जिसका वह अधिकारी है मंच का यह प्रयास बहुत उल्लेखनीय उत्कृष्ट है।
अनिल जोशी ने कहा कि हम स्वामी जी के विचारों को अपने जीवन के प्रत्येक उपक्रम में सम्मिलित करें । श्याम सुंदर भाटी ने कहा कि स्वामी जी का जीवन प्रत्येक भारतवासी के लिए प्रेरक ग्रंथ के समान है । रामायण महाभारत गीता की तरह ही स्वामी जी का संपूर्ण जीवन समूची मानव जाति के लिए प्रेरक और पवित्र पुस्तक के समान है।
दिलीप वर्मा ने कहा कि स्वामी जी का संपूर्ण जीवन अत्यंत चुनौतियों से भरा पूरा है शिकागो धर्म सम्मेलन में अपने उद्बोधन से उन्होंने दुनिया का दिल जीत लिया था यह हम सब के लिए गर्व की अनुभूति कराने वाले क्षण थे।
रमेश उपाध्याय ने कहा कि हम स्वामी जी को कभी भूल नहीं सकते स्वामी जी ने दुनिया के साथ-साथ भारत को मानवता की रक्षा करने का संदेश प्रदान किया था । श्री मदन लाल मेहरा ने कहा कि जाति धर्म और संप्रदाय की बात करने वाले लोगों के लिए स्वामी जी के उपदेश किसी रामबाण दवाई की तरह है स्वामी जी सिर्फ मानव धर्म का उपदेश देते थे । कार्यक्रम का संचालन दिलीप वर्मा ने तथा आभार नरेंद्र सिंह राठौर ने व्यक्त किया ।
इस अवसर पर दशरथ जोशी, मिथिलेश मिश्रा, रमेश परमार, कविता सक्सेना, रक्षा के कुमार, कमलेश पांचाल, कमल सिंह राठौड़, रघुराज खराड़ी, बी.के.जोशी आदि उपस्थित थे ।