लताजी के महाप्रयाण पर पूरे अंचल में शोक की लहर
रतलाम । भारत रत्न, स्वर कोकिला, पद्मभूषण लता मंगेशकरजी के महाप्रयाण पर रतलाम-झाबुआ-आलीराजपुर के सांसद श्री गुमानसिंह डामोर ने गहरा दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि उनके चले जाने से संगीत जगत के एक युग का अंत हो गया है । उन्होने कहा कि भारत ने अपना वह स्वर खो दिया है, जिसने हर अवसर पर राष्ट्र की भावना को भावपूर्ण अभिव्यक्ति दी। वे हमारे देश में एक खालीपन छोड़ गई है जिसे भरा नहीं जा सकता।
स्वर कोकिला लता मंगेशकरजी के महाप्रयाण पर श्री डामोर ने कहा कि लताजी का निधन उनके और दुनियाभर के लाखों लोगों के लिए हृदयविदारक है। रविवार सुबह मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। वो पिछले 28 दिनों से अस्पताल में भर्ती थी। वे हमारे देश में एक खालीपन छोड़ गई है जिसे भरा नहीं जा सकता। आने वाली पीढ़ियां उन्हें भारतीय संस्कृति के एक दिग्गज के रूप में याद रखेंगी, जिनकी सुरीली आवाज में लोगों को मंत्रमुग्ध करने की अद्वितीय क्षमता थी। लता-दीदी एक असाधारण इंसान थीं। उनकी दिव्य आवाज हमेशा के लिए शांत हो गई है लेकिन उसकी धुन अमर रहेगी, अनंतकाल तक गूंजती रहेगी।
उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं. व्यक्त करते हुए श्री डामोर ने कहा कि सुर व संगीत की पूरक लता दीदी ने अपनी सुर साधना व मंत्रमुग्ध कर देने वाली वाणी से न सिर्फ भारत बल्कि पूरे विश्व में हर पीढ़ी के जीवन को भारतीय संगीत की मिठास से सराबोर किया। संगीत जगत में उनके योगदान को शब्दों में पिरोना संभव नहीं है उनका निधन पूरे देश ही नही वरन पूरे विश्व के लिये अपूरणीय क्षति है। भारत ने अपना वह स्वर खो दिया है जिसने हर अवसर पर राष्ट्र की भावना को भावपूर्ण अभिव्यक्ति दी। ‘भारतीय सिनेमा की सुर सम्राज्ञी लता मंगेशकरजी का निधन देश की और संगीत जगत की अपूरणीय क्षति है। लताजी के गीतों में देश की आशा और अभिलाषा झलकती थी। उन्होंने कहा कि लता जी का मधुर स्वर दशकों तक देश में फिल्म संगीत की पहचान रहा।
सांसद श्री डामोर ने कहा कि भारत ने अपना सबसे अमूल्य रत्न खो दिया। कोरोना की कर्कश आवाज भारत की स्वर कोकिला को लील गई। आज सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर कोरोना से जंग हार कर दुनिया को विदा कह गईं। श्री डामोर ने कहा कि 92 साल की लताजी ने 36 भाषाओं में 50 हजार गाने गाए, जो किसी भी गायक के लिए एक रिकॉर्ड है। करीब 1000 से ज्यादा फिल्मों में उन्होंने अपनी आवाज दी। 1960 से 2000 तक एक दौर था जब लता मंगेशकर की आवाज के बिना फिल्में अधूरी मानी जाती थीं। उनकी आवाज गानों के हिट होने की गारंटी हुआ करती थी। ऐसी नेक, रहमदिल, संगीत साम्राश्री, भारतरत्न, पद्म भूषण लताजी के निधन पर पूरे रंतलाम, झाबुआ एवं आलीराजपुर संसदीय क्षेत्र के जन-जन एवं मेरी तरफ से नमन करते हुए उन्हे श्रद्धासुमन अर्पित कर परमात्मा से उनकी आत्मीय शांति की कामना करते हुए उनके परिवार एवं पूरे देश को इस असह्य वज्राघात को सहन करने की शक्ति प्रदान करें