- कोरोना उपचार हेतु पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है सभी संसाधन- डीन डॉ. दीक्षित
- कोरोना ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल के संदर्भ में आयोजित हुई प्रेसवार्ता
इन्दौर । इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के डॉ. हेमंत जैन, डीन एमजीएम मेडिकल कॉलेज डॉ. संजय दीक्षित, अरबिंदो हास्पिटल के डॉ. विनोद भंडारी सहित अन्य चिकित्सकों ने आज रेसीडेंसी कोठी में कोरोना ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल के संदर्भ में प्रेसवार्ता के दौरान मीडिया प्रतिनिधियों से चर्चा की। प्रेसवार्ता का मुख्य उद्देश्य लोगों में कोविड संक्रमण के कारण उत्पन्न हुये भय को दूर कर रेमडिशिविर की उपयोगिता तथा कोविड उपचार हेतु अन्य वैकल्पिक दवाईयों के बारे में जानकारी देना रहा।
बिना डॉक्टर के प्रिस्क्रीप्शन के ना लिया जाये रेमडिशिविर का इंजेक्शन
अरविंदो हॉस्पिटल के डॉ. विनोद भण्डारी ने बताया कि कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के कारण लोगों में घबराहट का माहौल उत्पन्न हो रहा है। आमजन बिना कोरोना पॉजिटिव हुये भी आर्टिफिशियल तरिके से रेमडिशिविर इंजेक्शन का घरों में संग्रह/स्टोर कर रहे है। जिसके कारण विगत कुछ दिनों से प्रदेश में रेमडिशिविर इंजेक्शन की उपलब्धता में कमी देखी गई है। उन्होंने बताया कि रेमडिशिविर इंजेक्शन सिर्फ डॉक्टर के प्रिस्क्रीप्शन के उपरांत ही लिया जाना चाहिये। उन्होंने बताया कि आईसीएमआर द्वारा निर्धारित की गई गाइड लाइन के तहत ऐसे मरीज जिनमें फेफड़ों का इन्फेक्शन 20 प्रतिशत से ज्यादा है, जिनमें आक्सीजन (एसपीओ2) की मात्रा 92 प्रतिशत से कम है, जिनका सिटी स्कोर 10 से ज्यादा है एवं जिन्हें लगातार तेज बुखार आ रहा है, सिर्फ उन्हीं लोगों को रेमडिशिविर इंजेक्शन लगाया जाना चाहिये। इसके पश्चात भी देखने में आया है कि लोग कोरोना पॉजिटिव आने के पश्चात बिना डॉक्टर की सलाह के रेमडिशिविर इंजेक्शन का प्रयोग कर रहे है। डॉ. भण्डारी ने बताया कि जिन लोगों को कोविड के कोई लक्षण नहीं है एवं उनका ऑक्सीजन लेवल भी स्थिर है वे रेमडिशिविर की जगह इम्यूसिन अल्फा का उपयोग कर सकते है। उन्होंन कहा कि वैज्ञानिक रूप से एवं ड्रग कंट्रोलर द्वारा दिये गये निेर्देशों के परिपेक्ष्य में बिना डॉक्टर की सलाह के घर पर ही रेमडिशिविर इंजेक्शन का प्रयोग करना पूर्णत: गलत है।
संसाधनों की निरंतरता बनाये रखने के लिये लोगों में जागरूकता लाना है जरूरी
एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित ने बताया कि जिले में कोरोना के उपचार हेतु प्रदाय की जा रही व्यवस्था को दुरूस्त करने के लिये कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये है। उन्होंने बताया कि ऑक्सीजन का लिकेज एवं अनावश्यक उपयोग रोकने के लिये कोविड मरीजों का उपचार कर रहे प्रत्येक अस्पतालों में ऑक्सीजन प्रभारी नियुक्त किये गये है। ऑक्सीजन प्रभारी यह भी सुनिश्चित करेंगे की मरीज को जितनी मात्रा में ऑक्सीजन की जरूरत है केवल उतनी ही मात्रा प्रदाय की जाये। डॉ. दीक्षित ने बताया कि किसी भी रिटेल स्टोर पर रेमडिशिविर इंजेक्शन अब विक्रय नहीं किया जायेगा। प्रशासन द्वारा भी रेमडिशिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी में संलग्न व्यक्तियों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई की जायेगी। उन्होंने कहा कि इंदौर में कोविड उपचार हेतु पर्याप्त संसाधन उपलब्ध है। लेकिन इन संसाधनों की निरंतरता बनाये रखने के लिये लोगों का जागरूक होना अत्यंत जरूरी है।
आईएमए के डॉ. हेमंत जैन ने बताया कि कोरोना संक्रमण के विरूद्ध इस लड़ाई में संसाधनों का सूचारू रूप से उपयोग करना अतिआवश्यक हो गया है। इसलिये एक सख्त प्रोटोकॉल निर्मित करना जरूरी है कि किस मरीज को अस्पताल में भर्ती करना चाहिये और किसे नहीं। जिन मरीजों को होम ऑइसोलेशन के माध्यम से ढीक किया जा सकता है उनकी सुविधा के लिये जिले में कोविड-डे केयर सेंटर चलाये जा रहे है। इन केन्द्रों पर मरीजों के वायटल चेक किये जाते है, जरूरी दवाईयां उपलब्ध कराई जाती है तथा दिन में 2 से 3 बार फोन के माध्यम से मेडिकल स्टॉफ द्वारा इन मरीजों की नियमित मॉनिटरिंग की जाती है। उन्होंने बताया कि ऑक्सीजन का वेस्टेज और लिकेज रोकने के लिये सभी अस्पतालों में ऑक्सीजन ऑडिट कराया जा रहा है। इस ऑडिट के माध्यम से ऑक्सीजन की उपलब्धता में 20 से 30 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी देखी गई है। बैठक में उपस्थित चिकित्सगण ने जिले के नागरिकों से अनुरोध किया कि वे कोविड संक्रमण की चेन को तोडऩे के लिये आवश्यक सावधानी जरूर बरतें। मास्क का प्रयोग, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन एवं हाथों को नियमित रूप से सेनिटाईज करें और 45 वर्ष के आयु वर्ग के सभी व्यक्ति कोविड का टीका जरूर लगवाये।