रतलाम । यदि मन प्रसन्न हो तो एक घड़ी की भक्ति भी परमात्मा से जोड$़ देती है और यदि कई वर्षों तक तप करों और मन प्रसन्न नहीं हो तो वह भक्ति व्यर्थ है। इसलिये संतों एवं महापुरुषों ने यही संदेश दिया है कि सदा प्रसन्न रहना ही ईश्वर की सर्वोपरी भक्ति है । क्योंकि प्रसन्न मन में ही भगवान का वास होता है । प्रसन्नता के साथ किए गए सभी कार्यो में सफलता निहित होती है ।
यह विचार आचार्य श्री हेमंत कश्यप ने श्री राजपूत धर्मशाला में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन धर्मालुओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किये । श्री काश्यप ने कहा कि क्रोध और आवेश में किया गया कोई भी कार्य सफल नहीं होता है और सदैव मुश्किलें ही खड़ी करता है । इसलिए सदैव प्रसन्न रह कर कार्य करना चाहिए ।
श्री राजपूत नवयुवक मंडल न्यास एवं महिला मंडल हाथीखाना के तत्वाधान में सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा के दूसरे दिन कथा में महंत श्री पुष्पराज जी राम स्नेही बड़ा रामद्वारा, हेमंत जी पुजारी कालिका माता मंदिर भी उपस्थित रहे।
इस अवसर पर श्री राजपूत नवयुवक मंडल न्यास, महिला मण्डल के पदाधिकारीगण, न्यास अध्यक्ष श्री राजेन्द्रसिंह गोयल, मण्डल अध्यक्ष शैलेन्द्रसिंह देवड़ा, महिला मण्डल अध्यक्ष श्री राजेश्वरी राठौर व मुख्य यजमान श्रीमती उषा पंवार परिवार, श्री चरणसिंह जाधव, श्रीमनोहरसिंह चौहान, श्री राजेन्द्रसिंह पंवार, श्री रघुवीरसिंह सांकला, श्री देवीसिंह राठौर, श्री महेन्द्र सिंह चौहान, श्री महेन्द्रसिंह सिसौदिया, श्री डाडमसिंह राठौर, श्री राजेन्द्रसिंह चौहान, श्री जोगेन्द्रसिंह सिसौदिया, श्रीमती सीमा देवड़ा, श्रीमती कविता देवड़ा, श्रीमती गीतादेवी राठौर, श्रीमती वसुमतीसिंह, श्रीमती गायत्री चौहान, श्रीमत पुष्पा चौहान आदि समाज के पदाधिकारीगण एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे