जावरा (अभय सुराणा) । न्यायालय श्रीमती नमिता बौरासी, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी जावरा, जिला रतलाम द्वारा आरोपी प्रकाश पिता मिटठू नाथ, उम्र-27 वर्ष, नि. चरलिया, थाना- निम्बेहाडा, जिला चित्तोडगढ राजस्थान को मंदिर में चोरी करने के आरोप में धारा 457, 380 भादवि के तहत 2 वर्ष का कठोर कारावास एवं जुर्माना से दंडित किया है । उक्त मामले की सफलतम पैरवी श्री शिव मनावरे, सहा. जिला अभियोजन अधिकारी जावरा, जिला रतलाम द्वारा की गई ।
घटना का संक्षिप्त विवरण – सहा. अभियोजन मीडिया सेल प्रभारी भूपेन्द्र सांगते द्वारा बताया गया कि दिनांक 01.02.2015 को कांकरवा बालाजी मंदिर केे महंत फरियादी रामदास पिता उधवदास बैरागी (नि. कांकरवा बालाजी मंदिर परिसर रिंगनोद जावरा जिला रतलाम) ने थाना रिंगनोद पर उपस्थित होकर घटना बताई कि मंदिर की पुजा मुरलीदास बैरागी करते हैं। रात्रि मे वह मुरलीदास, मानसिंह गुर्जर एवं मोहनलाल सभी मंदिर के पास स्थित धर्मशाला में सोये हुये थे। रात के लगभग 03:30 बजे उसकी नींद खुली तब उसने देखा कि धर्मशाला का दरबाजा खुला है उसे शंका हुयी तो अंदर जाकर देखा तो कमरे में रखी अलमारी खुली तथा सामान बिखरा पड़ा था। माताजी की मूर्ति के उपर 250 ग्राम की चांदी का छत्र था वह नही मिला। फिर बाहर बालाजी मंदिर की तरफ देखा तो बालाजी मंदिर के दरवाजे का ताला टूटा हुआ था तथा दरवाजे खुले थे। मंदिर के बाहर तथा अंदर रखी हुर्ह दान पेटियां वहां पर नही थी। कोई अज्ञात बदमाश मंदिर का ताला तोड़कर दान पेटियां, चांदी का छत्र चुरा कर ले गये है। आसपास तलाश किया तो एक दान पेटी टुटी हुयी मानसिंह के खेत पर मिली। फरियादी की रिपोर्ट पर से अपराध क. 17/2016 धारा 457, 380 भादवि का अपराध पंजीबद्ध कर विवचेना में लिया गया। विवेचना के दौरान सूचना के आधार पर आरोपीगण प्रकाशनाथ व बबलुनाथ को गिरफ्तार कर पूछताछ करने पर उनके द्वारा वारदात करना बताया गया एवं चुराया गया सामान पुलिस ने आरोपीगण की निशादेही से जप्त कर अनुसंधान उपरांत अभियोग पत्र धारा 457, 380 भादवि में माननीय न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था। विचारण के दौरान आरोपी बबलुनाथ फरार होने से विचारण प्रकाशनाथ जारी रखा गया। माननीय न्यायालय द्वारा विचारण उपरांत साक्ष्य के आधार पर आरोपी प्रकाश के विरूद्ध आरोप सिद्ध पाये जाने से आरोपी को धारा 457 भादवि में 2 वर्ष का सश्रम कारावास व 1000/- रूपये अर्थदण्ड एवं धारा 380 भादवि में 2 वर्ष का सश्रम कारावास व 1000/- रूपये के अर्थदण्ड से दंडित किया गया है एवं आरोपी बबलुनाथ पिता कैलाश नाथ फरार होने से प्रकरण सुरक्षित रखा गया। अभियोजन के द्वारा प्रकरण का सफल संचालन एडीपीओ शिव मनावरे द्वारा किया गया।