- रियावन लहसुन के, जी.आई. टैग की प्राप्ति हेतु सक्रियता बरतें
- कलेक्टर ने बैठक में दिए निर्देश
रतलाम । कलेक्टर श्री नरेंद्र सूर्यवंशी ने गत दिवस जिले के कृषि तथा उद्यानिकी विभागो की गतिविधियों की समीक्षा की। उद्यानिकी उपसंचालक श्री पी.एस. कनेल को निर्देशित किया कि जिले में उद्यानिकी रकबे में विस्तार के लिए योजना तैयार करें। विभाग अपनी सक्रियता दर्शाए। जिले में लहसुन की जी.आई. टैग प्राप्ति की प्रक्रिया में अनावश्यक विलंब हो रहा है, इसके लिए अपनी गतिविधियों में तेजी लाकर जी.आई. टैग समय सीमा में प्राप्त किया जाए। बैठक में उप संचालक कृषि श्री चौरसिया तथा अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
कलेक्टर ने कहा कि रतलाम जिले के किसान उद्यानिकी और कृषि गतिविधियों में अपने स्तर पर बेहतरीन कार्य कर रहे हैं परंतु कृषि तथा उद्यानिकी विभागो के प्रयासों को बल देने की आवश्यकता है। शासन की मंशा अनुसार खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए आवश्यक है कि कृषि तथा उद्यानिकी विभाग शासन की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ ज्यादा से ज्यादा किसानों तथा ग्रामीणों तक पहुंचाएं। बताया गया कि जिले में उद्यानिकी फसलों का कुल रकबा 93073 हेक्टेयर है जो कुल कृषि योग्य भूमि का 28 प्रतिशत है। प्रदेश में उद्यानिकी फसलों के क्षेत्रफल के मामले में जिला पांचवा स्थान रखता है। लहसुन, अंगूर, ड्रैगन फ्रूट, वीएनआर जामफल के उत्पादन में जिला प्रदेश में प्रथम स्थान पर है।
उद्यानिकी की प्रसंस्करण इकाइयों की जानकारी में बताया गया कि फल, मसाला आधारित 13 प्रसंस्करण इकाइयां जिले में स्थापित हैं जिनमें अंगूर वायनरी तीतरी के अलावा एम.एम. पूंजा शिप ब्रांड मसाले, डेला फ्रूट्स जावरा जहां सास, केच-अप इत्यादि बनाए जाते हैं। नीरज फूड्स जहां अचार, कैंडी, सास, चटनी इत्यादि तैयार किए जाते हैं। इसके अलावा लहसुन प्रसंस्करण आधारित 9 इकाइयां स्थापना का कार्य प्रगति पर है। लहसुन की रियावन किस्म का जी.आई. टेग कराया जा रहा है। कलेक्टर ने कहा कि जिले में पाली हाउस तथा नेट शेड हाउस खेती में विस्तार की आवश्यकता है।
कृषि विभाग आदिवासी कृषकों को हाईटेक खेती की मुख्यधारा में जोड़ें
बैठक में कलेक्टर द्वारा किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग की समीक्षा की गई। कलेक्टर ने जिले के बाजना तथा सैलाना जैसे आदिवासी क्षेत्रों में विभाग को विशेष कार्यक्रमों के संचालन के लिए निर्देशित किया जिससे कि आदिवासी कृषक ज्यादा से ज्यादा लाभान्वित हो सकें। कलेक्टर ने आदिवासी कृषकों को हाईटेक खेती की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए प्लान तैयार करने को कहा। कलेक्टर द्वारा जिले में उर्वरक उपलब्धता की समीक्षा भी की गई।
इसके अलावा प्रधानमंत्री फसल बीमा की समीक्षा में बताया गया कि इस वर्ष खरीफ मौसम में जिले के किसानों द्वारा 17 करोड़ 81लाख रुपए प्रीमियम जमा कराया गया है। करीब 1 लाख 71 हजार हेक्टेयर खरीफ क्षेत्र के लिए बीमा करवाया गया है। कलेक्टर ने इस बात पर सख्त नाराजगी व्यक्त की कि कृषि विभाग द्वारा जिले में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।
पशुपालन विभाग की भी समीक्षा की गई। कलेक्टर ने विभाग द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों पर संदेह व्यक्त करते हुए उपसंचालक को निर्देशित किया कि मैदानी अधिकारियों से पुनः त्रुटिरहित आंकड़े प्राप्त कर प्रस्तुत करें। साथ ही विभाग के उन मैदानी अधिकारियों को शोकॉज नोटिस जारी करने के निर्देश दिए जिनके द्वारा गलत आंकड़े जिले को पहुंचाए गए हैं। कलेक्टर द्वारा पशुपालन विभाग के तहत मॉडल हॉस्पिटल तैयार करने के निर्देश भी दिए गए। साथ ही पशु रोगी कल्याण समिति के फंड से खर्च किए गए 15 लाख रुपए की जानकारी का हिसाब-किताब सुस्पष्ट तरीके से प्रस्तुत करने हेतु निर्देशित किया। मत्स्य विभाग की समीक्षा भी की गई। मछुआ सहकारी समिति के सभी सदस्यों को किसान क्रेडिट कार्ड जारी करवाने के लिए कलेक्टर ने सहायक संचालक को निर्देशित किया, मंडियों के कामकाज की भी समीक्षा की गई। कलेक्टर ने सभी मंडी सचिवों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि मंडी प्रांगण में संचालित भोजनालयों से शुद्ध भोजन किसानों को उपलब्ध कराया जाए। भोजन की शुद्धता तथा स्वाद उत्तम हो।