धर्मस्थल को भौतिकवाद के चकाचौंध विलासिता और भौतिकवाद के चकाचौंध में खड़ा करना धर्म के मूल स्वरूप को नष्ट करने के समान है- राष्ट्रसंत कमलमुनि कमलेश

जोधपुर । दुल्हे, राजा और सन्यासी के वेश में जितना अंतर होता है उतना ही अंतर धर्म स्थान और संसारी भवन के अंदर होना चाहिए उक्त विचार राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने उपाध्याय पुष्कर मुनि जी की जयंती पर महावीर भवन निमाज की हवेली मैं धर्म सभा को संबोधित करते कहा कि धर्मस्थल को भौतिकवाद के चकाचौंध विलासिता और भौतिकवाद के चकाचौंध में खड़ा करना धर्म के मूल स्वरूप को नष्ट करने के समान है उन्होंने कहा कि धर्मस्थल महापुरुषों के त्याग बलिदान सेवा परमार्थ के प्रतीक है यह संदेश धूमिल नहीं होना चाहिए ।
मुनि कमलेश ने कहा कि राष्ट्रीय महात्मा गांधी के वर्धा आश्रम की सात्विकता को देखने के लिए विश्व से जनता पहुंचकर संतोष का अनुभव कर रही है  । राष्ट्रसंत ने स्पष्ट कहा कि अपरिग्रह का संदेश देने वाले महापुरुष के नाम पर ही परिग्रह का अंबार लग रहा है इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है जैन संत कहा कि सादगी और सात्विकता सभी धर्मों का प्राण है इन सिद्धांतों के दुर्लभ दर्शन धर्म स्थल पर हो रहे हैं जयंती पर गोसेवा महिला मंडल की ओर से अध्यक्ष शकुंतला नागोरी पिस्ता बागरेचा सुशीला मेहता प्रेमलता गोलियां ने संरक्षक दीपचंद जी टाटिया को राशि प्रदान की घनश्याम मुनि अक्षत मुनि ने विचार व्यक्त किए कौशल मुनि ने मंगलाचरण किया।