जावद। श्री सोनू जैन, न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी, जावद द्वारा जमीन विवाद के कारण मारपीट करने वाले 03 आरोपीगण (1) दीपचंद्र पिता किशनलाल भील, उम्र-42 वर्ष, (2) जीतमल उर्फ जीतू पिता दीपचंद्र भील, उम्र-23 वर्ष व (3) देवराज पिता छगनलाल भील, उम्र-30 वर्ष, तीनों निवासी-ग्राम राणावतखेड़ा, थाना रतनगढ़, जिला नीमच को भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 458 में 02-02 वर्ष के सश्रम कारावास व 500-500रू. जुर्माना, धारा 323/34 में 03-03 माह के कारावास व 500-500रू. जुर्माना, इस प्रकार आरोपीगण को कुल 2 वर्ष 3 माह के सश्रम कारावास एवं 1000-1000रू. जुर्माने से दण्डित किया।
श्री आकाश यादव, एडीपीओ द्वारा घटना की जानकारी देते हुुए बताया कि दिनांक 04.12.2017 को रात के 11 बजे फरियादी घीसूलाल ग्राम राणावतखेड़ा स्थित उसके खेत पर बनी झोपड़ी में था उसके साथ उसकी पत्नी रतनीबाई भी थी। तीनो आरोपीगण लकड़ी के डंडे लेकर आये और झोपड़ी के बाहर फरियादी का नाम लेकर चिल्लाने लगे, फरियादी ने जब दरवाजा खोला तो तीनों आरोपीगण कहने लगे कि तूने हमारी जमीन पर कब्जा क्यों कर रखा हैं, ऐसा बोलकर तीनो फरियादी की झोपडी के अंदर घुसकर उसके साथ लकडी के डंडो से मारपीट करने लगे, जिस कारण फरियादी घायल हो गया, फरियादी की पत्नी ने बड़ी मुश्किल से बीच-बचाव किया, फिर आरोपीगण वहाँ से भाग गये, फरियादी ने घटना की रिपोर्ट पुलिस थाना रतनगढ़ में की, जिस पर से आरोपीगण के विरूद्ध अपराध क्रमांक 319/2017, धारा 458, 323/34 भारतीय दण्ड संहिता, 1860के अंतर्गत पंजीबद्ध किया गया। फरियादी का मेडिकल कराकर व आरोपीगण को गिरफ्तार कर शेष विवेचना उपरांत अभियोग पत्र जावद न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।
विचारण के दौरान अभियोजन की ओर से न्यायालय में फरियादी, उसकी पत्नी सहित सभी आवश्यक गवाहों के बयान कराकर आरोपीगण द्वारा फरियादी के साथ उसकी झोपड़ी में घुसकर लकड़ी के डंडो से मारपीट कर चोट पहुँचाये जाने के अपराध को प्रमाणित कराकर उनको कठोर दण्ड से दण्डित किये जाने का निवेदन किया। माननीय न्यायालय द्वारा आरोपीगण को भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 458 में 02-02 वर्ष के सश्रम कारावास व 500-500रू. जुर्माना, धारा 323/34 में 03-03 माह के कारावास व 500-500रू. जुर्माना, इस प्रकार आरोपीगण को कुल 2 वर्ष 3 माह के सश्रम कारावास एवं 1000-1000रू. जुर्माने से दण्डित किया एवं जुर्माने की राशि में से आहत घीसूलाल को 2000रू प्रतिकर प्रदान करने का आदेश भी दिया। न्यायालय में शासन की ओर से पैरवी श्री आकाश यादव, एडीपीओ द्वारा की गई।