- जिले में एक हजार एकड़ से अधिक क्षेत्र में किया बांस का रोपण मनरेगा से वन क्षेत्रों में बांस रोपण कर 46 स्व-सहायता समूहों को रोजगार कराया उपलब्ध जिले में 448 किसानों ने 541 हेक्टेयर पर 2 लाख 16 हजार 281 बांस का किया रोपण मनरेगा योजना में 325 हेक्टेयर भूमि पर 02 लाख 03 हजार 125 बांस तथा केम्पा योजना में 595 हेक्टेयर भूमि पर 2 लाख 38 हजार बांस रोपे
देवास । प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी एवं मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा किसानो की आय को दुगना करने एवं लघु उघोगो को बढावा देने के लिए लगातार कार्य किया जा रहा है। कलेक्टर श्री चन्द्रमौली शुक्ला के मार्गदर्शन में देवास जिले वन मण्डल क्षेत्रीय देवास अंतर्गत निजी/कृषि क्षेत्र एवं वन क्षेत्रों मे बाँस के वृक्षारोपण के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। एक जिला एक उत्पाद अंतर्गत देवास जिले में कृषकों को प्रेरित कर एक हजार एकड़ से अधिक क्षेत्र में कंटग बांस का रोपण किया गया है। मनरेगा से वन क्षेत्रों में बांस रोपण कर 46 महिला स्व-सहायता समूहों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है। बाँस रोपण के प्रति प्रेरित करने के लिए किसानों एवं स्व-सहायता समूह के लिए अनुदान/सब्सिडी की योजना भी लाई गई है। ताकि अधिक से अधिक किसान कम लागत मे इससे जुड़ सके व अपनी आय बढ़ा सकें।
किसानो के लिए योजना
मध्य प्रदेश राज्य बांस मिशन द्वारा बांस के एक पौधे पर पौधा खरीदी से लेकर बांस लगाई एवं उसके बड़े होने तक सुरक्षा सहित कुल 240 रुपये की लागत का अनुमान लगाया गया है। किसान द्वारा अपने निजी भूमि पर बाँस वृक्षारोपण करने पर कुल लागत की 50 प्रतिशत राशि यानि की 120 रुपये प्रति पौधा किसानों को अनुदान (सब्सिडी) के रूप मे दिया जाएगा। वन मण्डल क्षेत्रीय देवास में विकासखण्ड देवास, सोनकच्छ, टोंकखुर्द, बागली, कन्नौद और खातेगांव के 448 किसानों ने 541 हेक्टेयर भूमि पर 2 लाख 16 हजार 281 बांस का रोपण किया है।
स्व-सहायता समूह के लिए योजना
वन क्षेत्र में स्व-सहायता समूह की मदद से मनरेगा योजना अंतर्गत बाँस रोपण कराया गया है। पांच वर्षों के लिए बनाई जाने वाली योजना मे वृक्षारोपण एवं उसकी सुरक्षा पर होने वाला समस्त व्यय मनरेगा योजना के अंतर्गत वहन किया जाएगा तथा पांच वर्ष बाद बाँस के विदोहन से होने वाली आय को उस क्षेत्र की ग्राम वन समिति एवं सम्बंधित स्व सहायता समूह के मध्य 20:80 के अनुपात में साझा की जाएगी। साथ ही बाँस को बेचने लिए स्व सहायता समूह एवं देवास स्थित आर्टिसन एग्रोटेक लिमिटेड बाँस फैक्ट्री के मध्य अनुबंध कराया गया है। मनरेगा योजना में 19 स्थानों पर 325 हेक्टेयर भूमि पर 02 लाख 03 हजार 125 बांस रोपे गये है।
देवास जिले में वनमंडल देवास क्षेत्री के सभी परिक्षेत्रों में केम्पा योजना के अन्तर्गत बांस रोपण किया गया है। केम्पा योजना में 22 स्थानो पर 595 हेक्टेयर भूमि पर 2 लाख 38 हजार बांस रोपे गये है।
बाँस वृक्षारोपण मे देवास जिले के लिए लक्ष्य
जिला प्रशासन एवं वन विभाग देवास के सहयोग से देवास जिले मे एक जिला एक उत्पाद के तहत बाँस का चयन किया गया है, साथ ही देवास में आर्टिसन एग्रोटेक बाँस फैक्ट्री से किसानों एवं स्व-सहायता समूह के एम.ओ.यु. द्वारा खरीदने एवं बेचने के लिए बाजार भी उपलब्ध है। वन संरक्षक देवास श्री पी एन मिश्रा ने बताया की वन मंडल देवास को वर्ष 2023-24 में सम्पूर्ण जिले मे विभिन्न योजनाओ के तहत शासन से अधिक से अधिक बांस रोपण का लक्ष्य प्राप्त कर उसकी तैयार प्रांरभ कर दी है। हमारा लक्ष्य अधिक से अधिक किसानों को जागरूक करते हुए शासन की योजना को हर किसान तक पहुंचाना है।
बाँस ही क्यों केंद्र
सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा लगातार कृषि एवं वन क्षेत्र मे बाँस वृक्षारोपण पर जोर दिया जा रहा है। बाँस वृक्षारोपण राज्य सरकार की महत्वकांशी योजनाओं मैं से एक है। इससे किसानों के लिए फायदा होगा। एक बार बांस के पौधे लगाने के बाद प्रतिवर्ष लगने वाली, खाद, सिंचाई, जुताई एवं पानी के खर्च से किसान को राहत मिलेगी। रोपण से 05 वर्ष तक किसान अपनी सामान्य खेती इन्टर क्रापिंग विधि से कर सकता है जिससे किसान को बांस कटाई तक उपज का कोई नुकसान नही होगा।
बांस के विभिन्न उत्पाद
फर्नीचर, सजावटी सामान, निर्माण कार्य, कृषि क्षेत्र,पेपर उद्योग आदि क्षेत्र में लगातार मांग बढ़ने से किसानों को अधिक आमदनी होगी।
पर्यावरण के लिए क्यों अनुकूल है बाँस
बांस एक बीजपत्री पौधा है, जो सी-3 वर्ग में आता है, जिसमें प्रकाश संशलेशण पत्ति के रंन्ध खुलाने पर ही होता है। बांस में प्रकाशीय श्वसन तेजी से होता है, अतः प्रकाशीय श्वसन के दौरान निकली हुई कार्बन डाई ऑक्साईड का पुनः उपयोग कर लिया जाता है। बांस पांच गुना अधिक कार्बन डाई आक्साइड का अवशोषण सक्षम होता है, वही एक हेक्टेयर बांस जंगल एक वर्ष मे एक हजार टन का अवशोषण कर लेता है। जिससे ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव कम होता है। बांस की जड़े कटाई के उपरांत भी कई दशकों तक मृदा को बांधे रखती है व मिट्टी के कटाव को रोकती है। बांस से अन्य वृक्ष की तुलना मे दस गुना अधिक उत्पाद बनाये जा सकते है जिसके कारण अन्य वृक्षों पर निर्भरता कम होगी।